वैसे अक्टूबर माह कई मायनों में ऐतिहासिक माह है । पहली अक्टूबर बुजुर्ग दिवस है, तो 2 अक्टूबर गाँधी जयंती के रूप में 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्य है, तो इसी तिथि को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' लालबहादुर शास्त्री जी की जन्म-जयंती भी है, तो 11 अक्टूबर को अन्य 2 भारतरत्न 'जयप्रकाश नारायण' और 'नानाजी देशमुख' की जन्म-जयंती रही, तो दादासाहब फाल्के पुरस्कृत व भारतीय सिनेमा के महानायक 'अमिताभ बच्चन' का जन्मदिवस भी है । वहाँ से यात्रा कर हम 31 अक्टूबर की तिथि आते हैं, हालाँकि इस बीच कई सद्जनों की न सिर्फ जयंती, अपितु पुण्यतिथि भी है । तारीख 31 को पूर्व उपप्रधानमंत्री 'भारतरत्न' सरदार पटेल की जन्म-जयंती है, तो पूर्व प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' इंदिरा गाँधी की शहादत दिवस भी । इन सभी को बारम्बार नमन करते हुए इस माह यानी अक्टूबर 2020 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' के प्रसंगश: हम लेखिका सुश्री कात्यायनी सिंह के सुलझे उत्तरों से रूबरू होते हैं, वे न सिर्फ कथाकार, न सिर्फ कवयित्री, अपितु सोशल मीडिया में भी अपनी दमदार उपस्थिति के साथ 'जानदार' भूमिका में हैं । आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की इस मासिक प्रस्तुति का हम लुत्फ़ उठाते हैं......
लेखिका सुश्री कात्यायनी सिंह |
प्र.(1.)आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:- मैं लेखिका हूँ और लेखन के द्वारा से मन की बातों को अभिव्यक्त करती हूँ। सोशल मीडिया और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से सीधे पाठकों से जुड़ने का मौका मिल रहा है।
प्र.(2.)आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:- मेरी पृष्ठभूमि शहर की है। मेरा गाँव उ.प्र. के जिला में जमुनीपुर गांव है, लेकिन मैं बचपन से बिहार के रोहतास जिले में छोटा सा शहर सासाराम में रहती हूँ।
मेरे पिताजी पेशे से अधिवक्ता थे, पर साहित्य उनकी पहली पसंद थी। हर तरह की साहित्यिक पत्रिकाएँ घर में आती थी। बचपन से ही मुझे किताबों का और पढ़ने का शौक बहुत रहा है। बाद में सृजन की तरफ झुकाव आया।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:- लेखन में दम हो तो आपको एक पहचान मिल सकती है। कोई भी प्लेटफार्म हो, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया लेखक को हमेशा उत्कृष्ट और गम्भीर लेखन करना चाहिए। समाज में सकारात्मक संदेश प्रेषित करने का अच्छा माध्यम है,सोशल मीडिया।
प्र.(4.)आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:- मुझे किसी तरह की कोई रूकावट नहीं आई।
प्र.(5.)अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:- आर्थिक दिक्कतों का सामना भी नहीं करना पड़ा।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:- 'मन की संतुष्टि'...
घर के सदस्य कभी मेरा विरोध नहीं किये, बल्कि हमेशा मुझे प्रोत्साहित किये।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:- मेरा परिवार, दोस्त और सोशल मीडिया का भी सहयोग मिला।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:- लेखन के माध्यम से अपनी सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ फैलाए जा रहे गलत अवधारणा को खत्म किया जा सकता है, जिसके लिए प्रयासरत हूँ !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-जवाब अप्राप्त !
प्र.(10.)इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:- जवाब अप्राप्त !
प्र.(11.)आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:- कोई परेशानी नहीं हुई।
आलोचना और समालोचना लेखन में होती रहती है।
प्र.(12.)कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:- दो किताबें प्रकाशित हुई है।
1-)'मैं अपनी कविताओं में जीना चाहती हूँ- कविता संग्रह;
2-) अक्स-- कहानी संग्रह.
जल्द प्रकाशित होने वाली किताब-
1-) जलनखोर प्रेमी नटखट प्रेमिका;
2-) सप्तपदी- विश्वास के सात टुकड़े.
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:- जवाब अप्राप्त !
प्र.(14.)कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:- जवाब अप्राप्त !
आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
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