आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवयित्री रचना भोला 'यामिनी' जी की मर्मभरी कविता...
कवयित्री रचना भोला 'यामिनी' |
उसने पूछा था एक दिन,
कौन हो तुम ?
मैं उत्तर के संधान में कई युगों तक भटकने के बाद,
खाली हाथ वापिस लौटी...
तो उसके सिरहाने के ठीक दाईं ओर
मेरा उत्तर लिहाफ में दुबका पड़ा था
मैं तुम हूँ !
मैं उत्तर के संधान में कई युगों तक भटकने के बाद,
खाली हाथ वापिस लौटी...
तो उसके सिरहाने के ठीक दाईं ओर
मेरा उत्तर लिहाफ में दुबका पड़ा था
मैं तुम हूँ !
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