आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी नेऊर की अद्भुत समीक्षा.......
जो भी हो, अगर प्रेमचंद रचित कथा 'नेऊर' को सामाजिक कहानी के बदले प्रेम कहानी कहूँ, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, मगर प्रेम का सही आकलन क्या हो ? जीवन में प्रासंगिकता का उभरना या जीवन्तताबोधित लिए होना 'प्रेम' के सापेक्ष है या सापेक्षतर है या निरपेक्ष मान लिए है !
काश ! यह बातें प्रेमचंद भी समझ पाते...
नमस्कार दोस्तों !
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