आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी पण्डित मोटेराम की डायरी की शानदार समीक्षा.......
जहाँ कथा-शीर्षक ही सिर्फ 'डायरी' शब्द को संरक्षण प्रदान करता है, वहीं प्रस्तुत कथा में स्त्रियों की मन:स्थिति को लेखक समझ नहीं पाए हैं ! यह कथा की येन-केन -प्रकारेण नियति हो सकती है, नीति नहीं !
....किन्तु-परंतु-वन्तु यानी जो भी हो, कथा अच्छी बन पड़ी है ! इसके बावजूद 'अच्छी' से तात्पर्य 'अच्छाई' लिए नहीं है !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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