आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी मुफ़्त का यश की असाधारण समीक्षा.....
प्रेमचंद लिखित कथा 'मुफ़्त का यश' पढ़कर ऐसा लगा कि यह लेखक महोदय के ज़िन्दगानी में से कुछ किस्से लिए हैं....
प्रस्तुत कथा में कथा सम्राट द्वारा 'लेखकों' के बारे में घिसी-पिटी बातों को तोड़े-जोड़े गए हैं, तो वहीं कथापात्रों के साथ न्याय नहीं कर पाए हैं और यह भी बता नहीं पाए हैं कि हाकिम ने किस वजह से मुलाकात के लिए बुलावा भेजा है ? यह फ़ख़्त अस्पष्टता लिए ताक धिना धिन है !
तथ्यत:, प्रस्तुत कथा अधूरी सच्चाई है, बावजूद कथा की दिलेरी यही है कि यह बांधे रखती है !
नमस्कार दोस्तों !
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