आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी विश्वास की शानदार समीक्षा.......
कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी 'विश्वास' !
क्या महिलायें पुरुषों के पैरों की धूल या पुरुष पक्ष की आज्ञाकारिणी या पैरों तले रहनेवाली भर होती हैं ? क्या महिलाओं की उपमा 'त्रियाचरित्र' से परे नहीं हो सकती यानी महानता आदि लिए ? क्या महिलाओं के पास अपनी सोच नहीं होती ?
क्या स्त्री-पुरुष प्रेम सिर्फ संसर्ग ही खोजते हैं ? क्या प्रेम में वासना होनी चाहिए या नहीं ? अगर स्त्री-पुरुष के बीच का प्रेम अगर शादी तक जाती है, तो बात वासना तक जाएगी ही !
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कथा 'विश्वास' सामाजिक सत्य होकर भी तब अर्द्धसत्य लगने लगती है, जब कथापात्र मिस जोशी में आत्मपरिवर्तन, अंत:परिवर्तन अथवा हृदपरिवर्तन हो जाती है !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
0 comments:
Post a Comment