आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी घमंड का पुतला की लघु समीक्षा.......
प्रेमचंद की कहानी 'घमंड का पुतला' !
देशज में पुतला से आशय मूरत से है, यह पुतला किसी भी जीव के हो सकते हैं, किसी शब्द के नहीं ! पुतला का पुतली कला- यह चाहे मिट्टी आए बनी हो या विभिन्न धातुओं से, आखिर यह होती है सजीवों के ही। निर्जीव ढोल, लालटेन, गेंद इत्यादि भी मिट्टी या धातुओं के बनाए जाते हैं, किन्तु यह पुतले नहीं कहलाए जाते हैं !
दरअसल में कोई भी साहित्यकार 'भेदभाव' की भावनाओं को मिटाते हैं, तो फिर किसी मोटे व्यक्ति को फुटबॉल कहना उचित होगा क्या ? प्रस्तुत कथा अलग-अलग पैराग्राफ लिए अलग-अलग बातें कहती हैं, किन्तु इन पैराग्राफ का मेल हर दूजे पैराग्राफ से बिल्कुल ही नहीं हो पा रहे !
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कथा 'घमंड का पुतला' कहानी कम, अपितु इसे संस्मरण ज्यादा समीचीन है, जो प्रतिबद्ध नैतिक सीख तो दे रही है, पर कथा परिवेश और विन्यास कथा 'शीर्षक' को बाँधे नहीं रख पा रहे हैं !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
0 comments:
Post a Comment