आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी उद्धार की अद्वितीय समीक्षा......
प्रेमचंद रचित कथा 'उद्धार' !
क्या ज़िन्दगी में शादी ही सबकुछ हैं ? जन्म लेने के बाद और बालिग का तमगा लगने के बाद शादी किसप्रकार से संस्कार हो जाते हैं ? क्या जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए लोगों को अविवाहित या अविवाहिता नहीं रहने चाहिए ? क्या शादी करके महिलाओं को उद्धार किये जाते हैं ? महिलाओं को कमजोर और अबला क्यों समझी जाती हैं ?
क्या प्रस्तुत कथा कथाकार के जीवन पर लागू होते हैं ? क्यों तब महिलाओं को पढ़ने का हक नहीं होती थी ? क्या उस जमाने में हर कोई हिंदी भाषा के बेहतरीन शब्दों के साथ कथानुसार पत्र लिख सकते थे ? क्या उस जमाने में लोग रोगी व्यक्ति से अपनी बेटी का विवाह कराते थे ?
जो भी हो, प्रेमचंद की प्रस्तुत कहानी 'उद्धार' को हम कैसे सामाजिक कथा कहेंगे ? अगर हाँ, तो फिर सामाजिकता से आशय क्या है ? ....तब इसकी परिभाषा बदलनी होगी !
नमस्कार दोस्तों !
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