आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं, कवयित्री दीपशिखा जी रचित असाधारण कविता...
मेरी हर बात पर रिसर्च हुई,
रोज़ गूगल पे मैं ही सर्च हुई।
दिल के रिश्तों की आबयारी में,
साँस दर साँस यूँ ही ख़र्च हुई।
नमस्कार दोस्तों !
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