फ़ोटो साभार- गूगल |
प्रेमचंदीय कथा 'नादान दोस्त' व्यथा लिए !
यह जानकारी में हो कि दोस्त कभी नादान नहीं होते ! दोस्तों की परिभाषा अप्रतिबद्ध और अतुलनीय होती हैं ! दोस्तों में जीव-जंतु हो या मानव, क्योंकि दोस्त कोई जीव ही क्यों न हो, आखिर वो दोस्त ही होते हैं ? सच्ची दोस्ती त्याग मांगती है, बदले की भावना लिए नहीं ! वे अदावत के पैरोकार नहीं होते !
क्या प्रस्तुत कथानुसार जब बच्चे चिड़िया के अण्डे के बारे में जानते ही थे, तब फिर 3 अण्डे का जिक्र ही क्यों ? आखिरकार जब दोनों एक ही जगह से अण्डे को देख रहे थे ! ....फिर तो श्यामा के लिए ऊँचाई कैसे बढ़ जाती है, आश्चर्य है ?
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कहानी 'नादान दोस्त' बड़ी नादान कहानी है, किन्तु दिलस्पर्शी ! बच्चों का हर जीवों के प्रति यह प्रेम कथा है, यह कथा हर वर्ग के पाठकों का दिल छू लेती है ! आखिर दिल तो बच्चा है जी !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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