फ़ोटो साभार- गूगल |
प्रेमचंद की कहानी 'खुदी' !
प्रस्तुत कथा के आलोक में क्या प्रेमचंद के जमाने में 'चोरी' नहीं होती थी ? क्या किसी अनजान मर्द से कथानुसार कोई महिला वार्त्तालाप कर सकती हैं ?
कथा में प्रविष्ट करने पर स्पष्ट होते हैं कि आख़िरत: 'मुसाफिर' कौन होते हैं ? मुसाफिर आकर फिर कहाँ चले गए ? क्या मुसाफिर से कथानायिका ने नाम तक नहीं पूछी और उसने इतनी बड़ी निर्णय ले ली ?
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कहानी 'खुदी' जहाँ वास्तविक जिंदगी में संभव नहीं हो सकती है, मगर वहीं प्रस्तुत कथा को सामाजिक बनाने की हरसंभव कोशिश हुई है !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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