आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुत अंक में पढ़ते हैं, श्रीमान आशुतोष दुबे की मर्मस्पर्शी कविता.......
श्रीमान आशुतोष दुबे |
अगस्त में-
कहीं-कहीं
बहुत बारिश आने से
बाढ़ आती है
कहीं-कहीं
मर जाता है आँख का पानी
सूखा पड़ जाता है आत्मा में !
नमस्कार दोस्तों !
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