आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवियत्री सुश्री कल्पना पांडेय की कविता.......
कवयित्री सुश्री कल्पना पांडेय |
तुम खुले दरवाज़ों पर भी दस्तक नहीं देते
मैं बंद दरवाज़ों पर भी अपनी अर्जी धर आती हूँ
अच्छे लगते हो
रुके हुए मुझमें
एक तुम-
और एक ये चाँद !
नमस्कार दोस्तों !
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