सुश्री कात्यायनी सिंह |
ये टूटे-फूटे सपने,
रातों में नागफनी का रूप धर
निर्मम बन तड़पा कर
चले जाते हैं सुबह की-
उजली किरणों के साथ
और रह जाती है बेबस आँखें !
नमस्कार दोस्तों !
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