मुफ़लिसी, किताबें और एकांत
इन्हीं दोस्तों ने संवारा है मुझे !
इन्हीं दोस्तों ने संवारा है मुझे !
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ख़ुशबू...आसमानों के नसीब में नहीं,
उसके लिए आपको मिट्टी होना पड़ेगा !
उसके लिए आपको मिट्टी होना पड़ेगा !
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मेरा संघर्ष अंधेरे से
निकलने के लिए नहीं...
बल्के वहाँ उगने के लिए है,
जहाँ अंधेरा हो !
निकलने के लिए नहीं...
बल्के वहाँ उगने के लिए है,
जहाँ अंधेरा हो !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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