अंग्रेजी का सितंबर माह कई मायने में ऐतिहासिक है। 'शिक्षक दिवस' (5 सितंबर) के रूप में महान शिक्षाविद व द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस, हिंदी दिवस के रूप में 14 सितंबर। भले ही हिंदी संपूर्ण भारत की राष्ट्रभाषा अब भी नहीं बन पाई है ! 5 सितंबर की तिथि संत मदर टेरेसा की पुण्यतिथि लिए भी महत्वपूर्ण है। वहीं 17 सितंबर को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस भी है। सनातन पंचांग के अनुसार, यह माह भादो और आश्विन लिए है, तो बांग्ला संक्रांति लिए विश्वकर्मा देव की पूजा-अर्चना हेतु भी है, वहीं इस्लाम धर्मावलम्बियों के लिए 'चेहल्लुम' त्योहार इसी माह है। सितंबर 2021 का 'इनबॉक्स इंटरव्यू', जो "मैसेंजर ऑफ आर्ट" का मासिक स्तम्भ है। इसबार 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' आपके प्रसिद्ध कॉलम 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए हिंदी लेखन क्षेत्र के नवोदित सितारे श्री निशांत सक्सेना 'आहान' से रूबरू कराने जा रहे हैं। आइये, निशांत जी के विचारों से हम अवगत होते हैं, यथा-
श्री निशांत सक्सेना 'आहान' |
प्र.(1.) आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:-
जी मेरा नाम निशांत सक्सेना है। उपनाम "आहान" है। मेरे कई साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। मेरी एक एकल पुस्तक भी प्रकाशित हुई है, जिसका नाम "करवट ए इश्क" है। इस पुस्तक को "नज़्म ए साहित्य" का पुरस्कार भी प्राप्त हुई है। मेरी कविताएं देश के कई समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित होती हैं, तो अमरीका, कनाडा के समाचार पत्रों में भी मेरे लेख नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं। मेरे मिशन प्रस्तुत रूप से भी संचालित हैं :-
फेसबुक पेज : कलम दवात
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फेसबुक समूह : उत्कृष्ट हिंदी साहित्य
प्र.(2.) आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मुझे बचपन से ही लिखने का शौक है। इंजीनियरिंग करने के बाद मैं पूर्ण रूप से इस क्षेत्र में आया। धीरे-धीरे सोशल मीडिया और काव्य गोष्ठियों और सम्मेलनों से मेरे लेखन को प्रोत्साहन मिलने लगा।
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-
मैं अपने प्रेरणादायक लेख व कविताओं द्वारा लोगों को अभिप्रेरित करता हूँ।
प्र.(4.) आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-
परेशानियों का दौर शुरू से ही रहा। इंजीनियरिंग के बाद सब यही पूछते थे कि इंजीनियरिंग करने के बाद भी क्या कर रहे हैं ? नए लेखकों से साहित्यिक संगठन कम ही मिलते ! कहीं-कहीं प्रकाशन के लिए कोई लेख वगैरह भेज देते थे, तो वह रिजेक्ट कर दिया जाता था। लिखने का उतना अच्छा तरीका भी नहीं पता था, तब फेसबुक और फेसबुक समूहों से जुड़ा, वहाँ लोगों को देखना शुरू किया और अपने शब्दों और लेखन में बदलाव लाना शुरू किया। धीरे-धीरे सब लोग जानने लगे, पहचानने लगे और आज मैं अपने लेखन में पूर्ण रुप से तो नहीं, लेकिन कुछ सफल जरूर हूँ।
प्र.(5.) अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:-
आर्थिक रूप से परेशानी तो रही ही। शुरुआत में थोड़े दिन के लिए नौकरी भी की। संबल के लिए लेखनकार्य ढूंढ़ने लगा, फिर जिन लोगों के लिए कहानियां लिखता था, उन्हीं लोगों से और भी काम मिलने लगा।
प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:-
चूँकि लेखन का शौक मुझे बचपन से है। मेरा मानना है कि अगर मनुष्य वह काम करें, जिसे उन्हें शौक हो तो उस कार्य को वह बहुत अच्छे तरीके से और अच्छे मन से करेंगे। एक अच्छे भविष्य के लिए मन से किया हुआ काम हमेशा सफल होता है। हाँ, मेरे परिवारवाले मुझे सपोर्ट करते हैं। मेरे माता-पिता मुझे हमेशा नए-नए विषय देते हैं, जिनके ऊपर मैं लिखता हूँ और भी कई तरीके से वे सब मेरी सहायता करते हैं तथा वे सभी मेरे कार्य से पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं।
प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:- मेरा कठिन परिश्रम।
प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-
भारतीय संस्कृति के लिए मैं हिंदी के प्रति पूर्ण सहभागिता प्रदान करता हूँ।
प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों को भ्रष्टाचार से होने वाले गलत चीजों के प्रति जागरूक करता हूँ।
प्र.(10.) इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-
ऐसा तो कुछ प्राप्त नहीं हुआ है, परंतु जो लोग मुझे नियमित रूप से लिखने के लिए लेखनकार्य देते हैं और मेरे को उसके बदले में पैसे देते हैं, उन सबों का मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूँगा।
प्र.(11.) आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:- नहीं।
प्र.(12.) कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-
मेरे कई साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। मेरी एक एकल पुस्तक भी प्रकाशित हुई है, जिसका नाम "करवट ए इश्क" है। इस पुस्तक को "नज़्म ए साहित्य" का पुरस्कार भी प्राप्त हुई है। मेरी कविताएं देश के कई समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित होती हैं, तो अमरीका, कनाडा के समाचार पत्रों में भी मेरे लेख नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
मेरी एकल पुस्तक "करवट -ए- इश्क" के लिए मुझे "नज्म -ए- साहित्य 2021" अवॉर्ड प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही कई प्रतियोगिताओं के लिए भी मुझे सर्टिफिकेट प्राप्त हुए हैं।
प्र.(14.) कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
जी, कुछ नहीं। लेखन ही एकमात्र सहारा है। हिंदी के नए लेखकों को अवसर मिलने चाहिए, यही नए लेखकों के लिए संदेश है।
आप हँसते रहें, मुस्कराते रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "....... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
नमस्कार दोस्तों !
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