आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कथा मूठ की लघु समीक्षा.......
फ़ोटो साभार : गूगल |
क्या आदि और इत्यादि में अंतर नहीं होते ? कथानुसार स्थान से गंगा नदी की दूरी कितनी है ? क्या कथाकाल में ७५० रुपये मामूली रकम होती थी ? क्या कथाकाल में 'मेस्मेरिजम' शब्द हिंदी जुबां में प्रसिद्ध था ? दूसरे पक्ष को कैसे मालूम होंगे कि उनपर 'मूठ' चला है ? क्या विज्ञान को माननेवाले डॉक्टर 'ओझा' के पास जा सकते हैं ? चोर का पता 'ओझा' लगा दें, तो फिर लोग 'पुलिस' क्यों बनते हैं ?
जो भी हो, प्रेमचंद रचित 'मूठ' अर्द्धवास्तविक कथा है, जिनका जीवन से संबंध है भी और नहीं भी !
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