नवम्बर 2021 कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है, यथा- पिता 'नेहरू जी' (14 नवम्बर) और पुत्री 'इंदिरा जी' (19 नवम्बर) की जयंती सहित कई घटनाएँ भी हुईं। हर माह की तरह 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' इस माह भी अपने सुप्रसिद्ध स्तंभ 'इनबॉक्स इंटरव्यू' लेकर प्रस्तुत है। ऑडियो बुक्स के क्षेत्र में जानदार पदार्पण करनेवाले एप BUCAUDIO के कर्त्ताधर्त्ता श्रीमान राजीव यादव से हम रूबरू होते हैं, नवम्बर 2021 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में। आइए, इंटरव्यू से हम लुत्फ़ उठाते हैं.......
श्रीमान राजीव यादव |
प्र.(1.) आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:-
वैसे तो अपनी पढ़ाई के दौरान और उसके पश्चात कई कार्य किये, पर अभी जो चल रहा है। यह एक एंड्राइड एप्पलीकेशन है ऑडियो बुक्स का। जिसमें हम पुस्तकों को ऑडियो में पब्लिश करते हैं। BuCAudio नाम का यह एप प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और अभी इसमें 100 से अधिक पुस्तकें सुनी जा सकती हैं। अपनी पढ़ाई के दौरान और उसके बाद एक बात ने मुझे काफी परेशान किया कि अपने देश में बच्चे पढ़ाई तो खूब करते हैं, डिग्री भी लेते हैं पर वो यह नहीं समझ पाते कि उन्हें करना क्या है या फिर कहें कि जानकारी और संसाधन के अभाव में अपने मनपसंद क्षेत्र में अपना कॅरियर नहीं बना पाते हैं। इस दिशा में कुछ करने हेतु मैंने स्कूलों में जाकर बच्चों से बात करना चाहा और दस से अधिक स्कूलों में गया भी, जहाँ एक कॅरियर सेशन आयोजित कर बहुत सारे बच्चों से इस संदर्भ में बातें हुई, पर फिर कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया और सभी विद्यालय बंद हो गए। इस तरफ से यह कार्य शुरू होते ही ठप हो गया, पर अब जब सभी चीजें सामान्य होने लगी है, तो आने वाले समय में फिर से इस दिशा में कार्य करने का प्रयास जारी है।
प्र.(2.)आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
अधिकांश परिवार की तरह मेरा परिवार भी एक मध्यमवर्गीय ही है, पिताजी स्कूल संचालक हैं और मम्मी प्रधानाध्यापिका हैं, तो बचपन से ही घर में पढ़ाई का माहौल रहा और यही वजह रही कि मैं अपने गांव में इंजीनियरिंग करने वाला पहला शख्स बना। आजतक मैंने जो भी कार्य किया है मेरे परिवारवालों का उसमें पूरा सहयोग रहा।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-
मेरा शुरू से ही प्रयास रहा है कि ऐसा कार्य किया जाए, जिससे अधिकतर लोगों को लाभ पहुँचे। कॅरियर कॉउंसलिंग कार्य मैंने इसीलिए शुरू किया कि उससे बच्चों को यानी विशेषकर ग्रामीणांचल के बच्चों को कुछ लाभ मिल सके और अब BuCAudio के भी माध्यम से मेरा यह प्रयास है कि लोगों तक अच्छा एवं स्तरीय साहित्य पहुँचे। यही वजह है कि मैंने शुरुआत में जिन पुस्तकों को प्रकाशित करने का निर्णय लिया, उनमें श्रीमद्भगवदगीता, महाभारत, मुंशी प्रेमचंद साहित्य, सत्य के साथ मेरे प्रयोग, भारत की खोज..... इत्यादि पुस्तकें सम्मिलित हैं।
प्र.(4.)आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-
अभी शुरुआत ही है, तो उस प्रकार से ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई, हां छोटी-मोटी समस्याएँ तो आती रहती हैं, फिर बिना समस्या और संघर्ष के कुछ मिल जाये, तो ऐसी सफलता ही क्या ?
प्र.(5.)अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:-
जैसा बताया कि मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और फिर पिछले डेढ़ वर्षों से हमारी आजीविका का साधन विद्यालय भी बंद है, तो वहीं थोड़ी-बहुत समस्याएँ आती हैं, पर ईश्वर की कृपा से अंत में सब ठीक हो जाता है।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:-
यह जानकर हैरानी होगी, पर यह सच है कि मेरे जीवन में पूर्व नियोजित तरीके से आजतक कुछ नहीं हुआ। अचानक ही कुछ ऐसी परिस्थितियाँ बनी कि बस वो काम शुरू हो गया और आगे बढ़ता रहा। BuCAudio के साथ भी ऐसा ही रहा। साहित्य से पहले से ही जुड़ाव रहा है, तो इस काम से खुशी भी मिलने लगी और साथ ही लोगों तक कुछ अच्छा पहुँचा पाने का अवसर भी। इस तरह से यह सिलसिला चलने लगा। रही बात परिवार की तो मैं अपने आप को बहुत खुशकिस्मत मानता हूँ कि मेरे हर निर्णय में परिवार वाले साथ रहते हैं, कभी उन्होंने मेरे किसी भी कार्य का विरोध नहीं किया, अगर असफलता भी मिली तो हौसलाअफ़जाई करते रहे, आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:-
BuCAudio ऐप की शुरुआत मैंने अपने मित्र श्री अभिषेक शुक्ला के साथ किया और हम दोनों साथ मिलकर इसको आगे बढ़ा रहे हैं, साथ ही अभी हमारे साथ 200 से अधिक लेखक और वॉइस आर्टिस्ट का सहयोग है, जिनके साथ और प्यार से यह कार्य धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, उससे भी अधिक ईश्वर का आशीर्वाद और श्रोताओं का प्रेम है कि अभी तक सबकुछ ठीक चल रहा है।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-
मेरा बचपन पापा और मम्मी से कहानियाँ सुनते हुए बीता तो बचपन से भारतीय संस्कृति और धर्म में मेरी आस्था रही। मेरा प्रयास है कि हम अपने श्रोताओं को ऐसा कंटेंट उपलब्ध कराएँ, जिससे उनमें ज्ञान, मनोरंजन के साथ-साथ अपनी संस्कृति के प्रति आस्था भी बनी रहे। ऊपरवर्णित ग्रन्थ और पुस्तकें जो अभी ऐप पर मौजूद हैं, इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है।
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
आज के समय में जब छल और भ्रष्टाचार जीवन का अभिन्न अंग हो गए हैं। ऐसे में इनसे अछूता रहना मुश्किल होता है, पर प्रयास यही है कि जीवन में ईमानदारी के साथ आगे बढ़ा जाए। जब आप अपना कार्य ईमानदारी से करेंगे तो लोग उससे कुछ न कुछ प्रेरणा लेंगे ही।
प्र.(10.)इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-
आजतक सिर्फ आँवले के मुरब्बे ही मिले हैं। हा-हा-हा.... मजाक से इतर बताएँ तो अभी तक ऐसा कुछ नहीं मिला। जो भी खर्च आता है, मैं और अभिषेक जी ही करते हैं। हाँ, हम इन्वेस्टर्स की खोज में हैं, जो हमारे इस स्टार्टअप में निवेश कर सकें, यह दान की बात नहीं है, अगर कोई करता है तो उसके लिए उसे कंपनी में शेयर भी दिया जाएगा।
प्र.(11.)आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:-
अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ और प्रयास रहेगा कि आगे भी इससे यथासंभव दूर रहा जाए।
प्र.(12.)कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-
इस संदर्भ में तो अभी तक नहीं प्रकाशित है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के समय कविता लेखन का शौक आ गया, तो उस वक्त कुछ पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में कुछ कविताएँ एवं एक कहानी प्रकाशित हुई थी, साथ ही दिल्ली के प्रसिद्ध TRD के अतिरिक्त कुछ अन्य ओपन माइक शो में जाने का अवसर मिला। इसके अतिरिक्त इस वर्ष के शुरुआत में The Parables of Good Times नामक एक साझा काव्य संग्रह Noel Lorenz प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
ऑफिशियल कोई भी नहीं। लोगों का प्यार और सम्मान ही सबसे बड़ा पुरस्कार है। जब कोई कॉल कर कहता है कि आपका ऐप बहुत अच्छा है, मुझे बहुत पसंद आया या फिर यही बात मैसेज में कहता है, तो यकीनन उसकी यही मुहब्बत हमारे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं है।
प्र.(14.)कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
सबसे बेहतर होता है कि आप जिस कार्य को मन से कर रहे हों, जिसको करने से आनंद की अनुभूति हो उसी से आजीविका भी चले, पर अभी यह शुरुआती दौर में है और इसमें से कुछ प्राप्त होने के बजाय निवेश करना पड़ रहा, इसलिए पिछले कुछ महीने से एक मल्टी नेशनल कंपनी में बिज़नेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत हूँ। संदेश की बात करें तो मैं अपने आप को इतना बड़ा नहीं मानता कि किसी को कुछ संदेश दे सकूँ, पर युवाओं और बच्चों से इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि सपने देखें, खूब सपने देखें और उसके लिए निरंतर परिश्रम करें। अपने छोटे से अनुभव से इतना जरूर कहूँगा कि आप जो चाहेंगे, कभी न कभी जरूर मिलेगा, सिर्फ आवश्यकता है तो सपने देखने और उसके पीछे लगे रहने की।
नमस्कार दोस्तों !
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