साल 2022 की शुरुआत में ही देश के कई राज्यों में विद्यालय और महाविद्यालय बंद यानी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का माध्यम 'ऑनलाइन' के द्वारा फिर से शुरू। ऑनलाइन पत्रिका 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' ने अपने ख्यात मासिक स्तम्भ 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए चर्चित लेखिका श्रीमती मौमिता बागची का चयन किया है, यह इस वर्ष का पहला 'इनबॉक्स इंटरव्यू' है। ध्यातव्य है, नव वर्ष अभिनंदन, गुरु गोविंद सिंह प्रकाशपर्व, विश्व हिंदी दिवस, स्वामी विवेकानंद जयंती, मकर संक्रांति, नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती, जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती, गणतंत्र दिवस यानी ये सभी त्योहार या जयंतियाँ जनवरी 2022 माह में मनाए गए और वसंत पंचमी फरवरी माह में है। वसंत पंचमी तो 'नारी' की आराधना लिए है। इसके तत्वश: लेखिका मौमिता बागची जी से हम रूबरू होते हैं, उन्हीं की जुबानी--
लेखिका मौमिता बागची |
प्र.(1.)आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:-
मुझे लिखना अच्छा लगता है। बचपन से ही पढ़ने की शौक़ीन हूँ, किताबों के पृष्ठों के मध्य ही बचपन और जवानी बीती है। इस विशाल दुनिया को पहचाना भी है, तो उन किताबों के ज़रिए ही। अत: लेखन के प्रति झुकाव एक तरह से बहुत स्वाभाविक ही था। सन् 2018 को पहली बार छापने का ख्याल मेरे मन में आया। यूँ तो साहित्य की छात्रा होने के कारण साहित्यिक पृष्ठभूमि पहले से ही रही है और अंग्रेजी, हिन्दी और बांग्ला साहित्य से पूर्व परिचित हूँ। कुछ वर्षों तक हिन्दी अधिकारी व अनुवादक के रूप में कार्य करने का भी अनुभव है। लेखकीय सफरनामा नयापन लिए है। अगर उपलब्धियों की बात करें, तो मेरी दो प्रकाशित पुस्तकें हैं-
●कुछ अनकहे अल्फाज़ कुछ अधूरे ख्वाब (कहानी संग्रह)
●माँ की डायरी (लघु उपन्यास)।
इनके अलावा कुछ ब्लॉग्स भी हैं और कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म एवं एक एफ.एम. एप्प पर मेरी कुछ कहानियाँ भी प्रसारित हैं।
प्र.(2.)आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
पहले बता चुकी हूँ कि मैं साहित्यिक पृष्ठभूमि से ही आई हूँ। तीनों भाषाओं के साहित्यिकी अध्ययन मेरे लेखन की आधारभूत प्रेरणा और संरचना रही हैं। मेरे गुरुजनों एवं सहपाठियों में से कई प्रतिष्ठित लेखक हैं। साथ ही पर्यटन का भी शौक है मुझे। देश-विदेश के कई स्थानों में सफर के दौरान मुझे उन अनुभवों को लिखकर व्यक्त करने की इच्छा हुई थी, इन्हीं कारणों ने मुझे कलम उठाने के लिए प्रेरित किया।
प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-
सामाजिक विषयों में विशेषकर- समाज में व्याप्त विसंगतियों, रूढ़ियों, अंधविश्वासों और भेदभावों के बारे में लिखना मुझे बहुत पसंद है। एक लेखकीय दायित्व का निर्वहन करते हुए अगर पाठकों का ध्यान इन सबों की ओर आकर्षित (कहानियों के माध्यम से) कर इन बुराइयों के उन्मूलन के लिए तनिक भी सहभागिता कर सकूँ तो स्वयं को धन्य मानूँगी।
प्र.(4.)आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-
रुकावटें यानी समय निकाल पाना ही सबसे बड़ी समस्या है। दैनंदिन कार्यकलापों को करते हुए नियमित रूप से पठन और लेखन के लिए समय निकाल पाना ही प्रधान समस्या है। गौण समस्याओं में आर्थिक एवं अन्य समस्याएँ आती हैं।
प्र.(5.)अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:-
आर्थिक समस्या तो हिन्दी के लेखकों के लिए आम बात है। हिंदी लेखन से आजीविकोपार्जन की बात कहना बेमानी हैं। आर्थिक दिग्भ्रमित भी कई बार होना पड़ता है। जब आप दूसरों के लिए लिखते हैं, तो कार्य सम्पन्न होने के पश्चात वादे के अनुसार भुगतान के लिए कई बार लोगों अथवा कंपनियों के पीछे पड़ना पड़ा है। मुझे वैसे इस तरह की समस्याओं से अधिक रूबरू नहीं होनी पड़ी, क्योंकि मैं मूलत: अपनी खुशी के लिए ही लिखती हूँ और कोई भी परियोजना में मैं तब तक शामिल नहीं होती हूँ, जब तक कि सारी नियमावलियाँ और शर्तें भलीभाँति समझ न लूँ। अधिक धन पाने की लालच से हमेशा बची रहती हूँ।
प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:-
मुझे पसंद थी लिखना, इसलिए मैंने इस क्षेत्र को चुना है। दूसरों को पढ़ने के क्रम में एक क्षण ऐसा लगा कि ऐसी तो मैं भी लिख सकती हूँ। पहला लेख प्रयोग के तौर पर ही लिखी थी, फिर पाठकों का इतना प्यार मिला कि अब तो लिखे बिना नहीं रह पाती हूँ।
मेरे परिवार के लोग मेरे लेखन को नहीं पढ़ते हैं। उनको हिन्दी पढ़ना पसंद नहीं है। कुछ को तो भाषा की समस्या हैं और कुछ लोगों की रुचि भिन्न है, फिर भी हरतरह की तकनीकी सहायता मुझे परिवारवालों से ही मिल पाती हैं। मैं भी प्रत्येक कार्य करने से पहले अपने परिजनों की सलाह जरूर लेती हूँ।
प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:-
कोई विस्तृत फलक अभी तक नहीं है, सिर्फ एक शुरुआत की है। सहयोगी तो मेरी कलम, अदम्य इच्छा शक्ति और कुछ कर गुज़रने की एक छोटी सी आश लिए है। पहले ही यह कह चुकी हूँ कि परिवारवालों से तकनीकी सहायता मिल जाती हैं और हौसलाअफज़ाई के लिए मेरे दोस्त हैं, फिर माता-पिता का आशीर्वाद, सजग और समझदार पाठकगण यानी कुल मिलाकर यही सब हैं।
प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-
जी, भारतीय संस्कृति एक बहुआयामी और बहुव्याप्य शब्द है। मैं अदना सी लेखिका कैसे अपनी संस्कृति को प्रभावित कर सकती हूँ ? सिर्फ प्रयास कर रही हूँ कि अपनी संस्कृति को, अपने संस्कारों को और अपनी शिक्षा को अपने लेखन के माध्यम से निभाने की। मेरी नज़र सिर्फ मानवीय गुण-दोषों के प्रति है। वह मानव जो प्रताड़ित हैं, पीड़ित हैं, कष्ट भोगने को मजबूर हैं, उन लोगों को गंतव्य स्थान तक पहुँचाने की जिम्मेदारी मेरी है। वह स्थान जिसका असल में वे ही हकदार हैं। इन दोनों प्रश्नों का उत्तर सटीक रूप से केवल मेरे पाठक ही दे सकते हैं। भविष्य ही बताएगा कि मैंने लेखन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और मर्यादाओं को कितना अक्षुण्ण रखा है !
प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
लेखन के द्वारा इस विषय पर आलोकपात किया जा सकता है। भ्रष्टाचारमुक्त राष्ट्र और समाज तो हम सब भारतवासियों का सपना है। साथ ही आर्थिक समानाधिकार की बात कहना बेमानी है, क्योंकि कहीं यहाँ बहुत गरीब हैं, तो कुछ लोगों के पास रुपये-पैसे रखने की जगह ही नहीं है। ऐसी विसंगति पर भी विचार होना आवश्यक हैं।
प्र.(10.)इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-
जी नहीं।
प्र.(11.)आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:-
जी नहीं। ईश्वर की कृपा से अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
प्र.(12.)कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-
●कुछ अनकहे अल्फाज़ कुछ अधूरे ख्वाब (कहानी संग्रह)
●माँ की डायरी (लघु उपन्यास)।
इनके अलावा कुछ ब्लॉग्स भी हैं और कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म एवं एक एफ.एम. एप्प पर मेरी कुछ कहानियाँ भी प्रसारित हैं।
प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
सन् 2021 में क्रेजी टेल्स द्वारा "वूमैन कानक्लैव एवार्ड्स" के साथ "श्रेष्ठ लेखक 2021" की ट्रॉफी और प्रमाणपत्र प्राप्त। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कुछ पुरस्कार प्राप्त।
प्र.(14.)कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
सम्प्रति- मैं एक गृहिणी हूँ। भविष्य में लेखन को ही पेशे के रूप में चुनना चाहती हूँ। साथ ही विद्यार्थियों को पढ़ाने का भी शौक रखती हूँ। कुछ समय विद्यालय में अध्यापनकार्य में संलग्न रही हूँ।
आप यूँ ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !
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