नवनीत वर्ष 2022 में 'मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' के आदरणीय पाठकगण ! आइये, पढ़ते हैं, लेखक व कवि श्रीमान सौरभ शर्मा की कविता.......
कवि सौरभ शर्मा |
देखो ये तुम्हीं तो हो न-
जो बसंत हो रही हो अभी से,
प्रेम की सेज पर-
जाड़े की सुर्ख गुलाबी सुबह में घुली !
नमस्कार दोस्तों !
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