नवीन वर्ष 2022 में 'मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' के आदरणीय पाठकगण ! आइये, पढ़ते हैं, सुश्री पूजा कुमारी की अद्वितीय रचना.......
सुश्री पूजा कुमारी |
कठिन है-
अन्धेरे के घर में खड़े हो
रोशनी की उम्मीद
अन्धेरा वजूद पर कालिख नहीं पोतता
आपके होने को भुला देता है
और भुलाया जाना भी एक तरह की त्रासदी है
जीने की जंग छेड़ने वाले के प्रति
सफलता चाशनीदार है पर
असफलता की शक्ल
बड़ी कुरूप होती है
योग्य-अयोग्य कोई नहीं चाहता
ये रिश्ते की रीढ़
जीवन की रीति दोनों बदल देती है
मेरे एकान्त के सहचर
तोडो़ सभी वर्जनाएं
बढा़ओ हाथ
कि मैं धंसी जा रही
अन्धेरे की कब्र में
बचाओ मुझे कि
कुछ सपने इसी जन्म के लिए जरूरी है
समेंटो मुझे कि
तमाम उम्मीदें बिखरी हुई हैं !
नमस्कार दोस्तों !
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