आइये, मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट में पढ़ते हैं, निबंधकार और संपादक श्रीमान पंकज त्रिवेदी की अद्वितीय कविता.......
दो दिन
क्या बाहर
चला गया
उसका मुँह
फूल गया।
आज थोड़ा
पानी दिया
सहलाया
हल्की हवा के
संग नाचने लगा।
उमंग था, हँसी भी
हरियाला रंग घेरा
गिरे पत्ते को उठाया
चुम लिया मैंने
हरसिंगार महकने लगा !
नमस्कार दोस्तों !
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