आइये, मैसेंजर ऑफ़ आर्ट में पढ़ते हैं, कवयित्री रंजीता सिंह 'फलक' की हृदयस्पर्शी रचना.......
कवयित्री रंजीता सिंह |
तुम्हारे बारे में सोचते हुए
मन को खूब उदार करते हुए
प्रेम को पूरी आजादी देते हुए
हर धड़कती आशंका को
एक झटके में-
छाती से विलग करते हुए
सामने -सामने दिख रहे छल से
आँखें मींचते हुए
सारी पीड़ा ,संत्रास
और बेचारगी के मध्य
एक कृत्रिम मुस्कान में आबद्ध
मैँ बनी रही-
सच्ची प्रेयसी और समझदार स्त्री
मेरे और तुम्हारे प्रेम में
प्रेम का निर्वहन मेरे हिस्से था
और आजादी तुम्हारे हिस्से !
नमस्कार दोस्तों !
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