आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवि श्रीमान शैलेंद्र शांत की मर्मस्पर्शी रचना.......
चैन से सोना है !
क्या हुआ
वहां क्या हुआ
हुआ क्या
उनके साथ
जो भी हुआ
अच्छा या बुरा
होना था सो हुआ
आग लगे , चाहे डूबे
दूसरों के घरों में कुछ
होना भी कोई होना है
जब तक अपने न लुटे
जब तक अपने न पिटे
जब तक अपने न मिटे
चैन से चादर ओढ़ सोना है।
नमस्कार दोस्तों !
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