आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रबुद्ध पाठकगण पढ़ते हैं, सुश्री किरण यादव की कविता........
गया कुछ भी नहीं
रहा कुछ भी नहीं !
सहा सब कुछ मगर
कहा कुछ भी नहीं
दिया उसने बहुत
मिला कुछ भी नहीं
मिला जीवन बहुत
जिया कुछ भी नहीं !
किया ख़ुद को यूँ ख़र्च
बचा कुछ भी नहीं !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
वाह वाह
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