आइये, आज मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रबुद्ध पाठकगण पढ़ते हैं, सुश्री वर्षा रानी के फेसबुक वॉल से साभार ली गयी रचना........
जहाँ भीड़ बहुत थी-
उनकी एक नज़र से खुद पे नाज हुआ
पर ये भूल बैठी कि-
खास लोग की शख्सियत जगजाहिर नहीं होती
वो तमाम लोगों के लिए एक होते हैं
पर किसी एक के लिए सम्पूर्ण
उनकी कथनी से ठीक विपरीत !
नमस्कार दोस्तों !
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