आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं, सुश्री निधि चौधरी की अनुपम रचना.......
यूँ मुहब्बत के मरीज़ों को दवा देते हैं,
ग़ज़लें दो-चार मुहब्बत की सुना देते हैं।
दिन में जो चेहरे सुकूं दिल को अता करते हैं,
नींद वो चेहरे ही रातों की उड़ा देते हैं।
जिस पे गुल आए उसी डाल पे कांटे आऐ,
गुल तो ख़ुश्बू दें, ये कांटें क्यूं रुला देते हैं।
कत्ल करने के इरादे से वो जो आए थें,
उम्र लम्बी हो मेरी, मुझको दुआ देतें हैं।
जबकि मिलता नहीं कुछ भी तो सिवा अश्कों के,
जान क्यूँ लोग मुहब्बत पे लुटा देते हैं।
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