मैसेंजर ऑफ आर्ट के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' की मासिक कड़ी जून 2022 में आ पहुँची है यानी इस सफ़रनामा के कई साल हो गए। जून माह का आना और जाना आधी वर्ष की समाप्ति की घोषणा है। वर्ष के शेष हिस्से आधा फ़साना है या आपके सपने को साकार करेंगे या संहार-- ये सब अभी होने हैं यानी भविष्य के गर्भ में है। जून माह में जेठ की गर्मी और आषाढ़ी बारिश यानी दोनों का बोलबाला तो है ही, साथ में मानसून 'सदाबहार' के साथ दस्तक दे चुके हैं। 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' इस माह जिस शख़्सियत से रूबरू करा रहे हैं, उनका नाम है- श्री किशोर श्रीवास्तव। जो कवि, लेखक, संपादक और संस्कृतिकर्मी हैं तथा भारत सरकार में प्रथम श्रेणी अधिकारी रहे हैं। स्वदेश सहित विदेशों में भी अपने यश का वर्द्धन किए हैं। बीसवीं सदी के 7वें दशक में यानी किशोर जी ने किशोरावस्था की उम्र में भजनसम्राट अनूप जलोटा जी के साथ अनेक कार्यक्रमों में लता दी के गाने गाकर प्रसिद्ध हुए, तो लोकनृत्य में प्रथम पुरस्कार भी जीते। वे अभिनेता और एक्टिविस्ट सोनू सूद जी से गहन वार्त्ता भी किए हैं। जब वे अष्टम कक्षा में थे तो बाल उपन्यास 'अभागा राजकुमार' लिख डाले। आइए, किशोर श्रीवास्तव जी को हम और भी विस्तृत जानते हैं, उन्हीं की जुबानी........
श्रीमान किशोर श्रीवास्तव |
प्र.(1.) आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?
उ:-
जी। मुझे लेखन, गायन, अभिनय, व्यंग्य चित्रकारी और एंकरिंग का किशोरावस्था से ही शौक रहा है। 1986 में केंद्र सरकार की सेवा में दिल्ली आने के बाद छुट्टी के दिनों में या खाली समय में व अब सेवानिवृत्ति के बाद भी मेरे ये शौक बदस्तूर जारी हैं।
प्र.(2.) आप किसप्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:-
मेरे परिवार में सबको साहित्य, संगीत का शौक रहा है, अत: समय-समय पर उनसे मुझे प्रोत्साहन भी खूब मिला। मेरे बड़े भाई श्री अरूण श्रीवास्तव (संपादक/पत्रकार) मार्गदर्शक के रूप में मेरे साथ रहे हैं।
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?
उ:-
मैंने 1984 में स्टूडेंट लाइफ में विभिन्न सामाजिक विसंगतियों पर प्रहारस्वरूप अपने कार्टून और छोटी-छोटी रचनाओं की एक रंगीन जनचेतना पोस्टर प्रदर्शनी "खरी-खरी" तैयार की थी। इनमें सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार संबंधी पोस्टर भी थे। इनका अब तक देश के विभिन्न स्थानों पर सौ से भी अधिक बार प्रदर्शन हो चुका है। मेरे ख्याल से इनसे आम लोग बहुत प्रभावित व प्रेरित होते रहे हैं।
प्र.(4.) आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?
उ:-
ऐसा नहीं के बराबर रहा। सरकारी सेवा में भी मैं लेखन, संपादन, राजभाषा संगोष्ठी, कवि सम्मेलन, राजभाषा हिंदी के प्रचार, एंकरिंग, संयोजन इत्यादि से जुड़ा रहा। मुझे वरिष्ठ अधिकारियों का सदा सहयोग व प्रोत्साहन मिला।
प्र.(5.) अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?
उ:-
नहीं। मैने इधर-उधर (कवि सम्मेलनों आदि) से प्राप्त मानदेय आदि की रकम का भी अपने शौकों के लिए उपयोग किया।
प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !
उ:-
चार नावों पर सवारी करने के शौक ने मुझे विभिन्न कलाओं से जोड़े रखा और मैने हर क्षेत्र में हाथ आजमाने की कोशिश भी की। परिवार का प्रोत्साहन व सहयोग ही मेरा संबल रहा।
प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?
उ:-
माता, पिता, बहन व भाई और मेरे सरकारी कार्य क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारीगण।
प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?
उ:-
मैंने भारतीय संस्कृति, विश्व बंधुत्व और समरसता के प्रचार प्रसार के मद्देनज़र ही कार्य किया।
प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
मेरे कार्य, विशेषकर पोस्टरों में दिए गए विचार काफी कारगर हो सकते हैं।
प्र.(10.) इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?
उ:-
मुझे सरकारी और गैर सरकारी तौर पर बहुत से पुरस्कार/सम्मान प्राप्त होते रहे हैं। अनेक में नकद राशि भी मिली है।
प्र.(11.) आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !
उ:- नहीं। ऐसा नहीं हुआ कभी।
प्र.(12.) कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?
उ:-
बाल साहित्य सहित लघुकथा, कहानी, व्यंग्य और कार्टून आदि की मेरी अब तक 15 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
समाज सेवा, व्यंग्य चित्रकारी, गीत, संगीत, लेखन, अभिनय आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं/उपलब्धियों के चलते श्रीमती किरन बेदी, पद्मश्री बरसाने लाल चतुर्वेदी, श्रीमती विमला मेहरा, श्रीमती अंजना कंवर, श्री लहरी सिंह इत्यादि हस्तियों के साथ रेड एंड व्हाइट सामाजिक बहादुरी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के 51,000 रुपये के बाल साहित्य पुरस्कार सहित राष्ट्र गौरव पुरस्कार, राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान, स्व. जगदीश कश्यप स्मृति लघुकथा सम्मान, चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट बाल कहानी पुरस्कार, महाराज कृष्ण जैन सम्मान इत्यादि विभिन्न सम्मानों से सम्मानित। नवभारत टाइम्स व अमर उजाला समाचार पत्रों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कविता के लिए पुरस्कृत।
प्र.(14.) कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:-
वर्तमान में मैं पेंशन भोगी हूं। आजीविका की कभी कोई समस्या नहीं रही, इसीलिए अपने समस्त शौकों को मैं जी पाया। समाज के लिए बस यही संदेश है, जीवन चलने का नाम। जब शरीर में ताक़त है, इच्छाशक्ति है बिना रुके चलते रहें। कभी अपने ऊपर बुढ़ापे को हावी न होने दें। जीवन में निराश न हों। अपना कर्म करते रहें और अपने भीतर के बच्चे को सदा जिंदा रखें।
नमस्कार दोस्तों !
आपका बहुत बहुत शुक्रिया, इतना मान और प्यार देने के लिए🙏
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