आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, सुश्री संजू शब्दिता की मर्मस्पर्शी रचना......
सारा क़ुसूर उसका है, कहता था जान-ए-जाँ
बोला, तुम्हें भी इश्क़ है ? तो हम ने कह दी हाँ
तौबा तुम्हारी बज़्म से ऐ इश्क़-ए-नामुराद-
आने का रास्ता तो है, जाने का दर कहाँ ?
हम ने जला दिए थे कहानी के सब वरक़
बुझ तो गई वो आग प उड़ता रहा धुआँ
थोड़ी सी देर खुद को समझने में क्या हुई
ताउम्र अपने होने का होता रहा गुमाँ-
तुम भी कमाल करती हो संजू कभी कभी
उसने कहा कि जान दो और तुम ने दे दी जाँ ?
नमस्कार दोस्तों !
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