मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं, कवयित्री सुश्री रानी सिंह जी की फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अद्भुत कविता........
फिर मैं चलती हूँ...
जिंदगी !
रुकना जरा
कि बचे हुए हैं
ढ़ेरों अल्फाज़ मुझमें अभी
कि ज़ाहिर कर लेने दो उन्हें
इस दुनिया से जरा
कि भरी हुई ही है
सौगातों की पोटली कई
कि बाँट लेने दो इन्हें
सहयात्रियों में जरा
कि भरी हुई है मुझमें
प्रेम पूरी की पूरी एक नदी
कि बह जाने दो उसे
सूखी धरती पर जरा
फिर मैं चलती हूँ
अनन्त यात्रा पर...
बढ़ती हूँ होकर शून्य
शून्य की ओर।
नमस्कार दोस्तों !
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