आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट के प्रस्तुतांक में पढ़ते हैं, कवयित्री सुश्री निधि चौधरी की अनुपम रचना........
वो तसव्वुर में जो आए तो ग़ज़ल हो जाए,
ख़ुद को मेरा जो बताए तो ग़ज़ल हो जाए।
डूब के याद में माशूक की पागल आशिक,
नाम लिख लिख के मिटाए तो ग़ज़ल हो जाए।
कोई ग़लती भी न उसकी हो मगर मैं रूठी,
और वो मुझको मनाए तो ग़ज़ल हो जाए।
नमस्कार दोस्तों !
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