आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवि और लेखक श्रीमान आर.डी. आनंद की असाधारण रचना.......
तुम्हारे दामन में खुशियों को देख मैं जल गया,
मैं रफीक हूं या रकीब बड़ी कश्मकश है मुझमें।
तुम्हारा यूं खिलखिलाना दाग है मेरे सीने पर,
कमबख्त अदावत है या कोई टीस उठी है मुझमें।
बीते हुए लम्हों की खनक से तुम अभी नहीं उबरे,
मुझे छूकर हवा गुजर गई कुछ तो कमी है मुझमें।
नमस्कार दोस्तों !
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शुक्रिया साथियों। आप मुझे इस लायक समझते हैं कि मेरी रचना को असाधारण कह कर मुझे पुरस्कृत कर देते हैं। आभार मित्रों।
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